रेक्टिफायर क्या है ?
[What is rectifier? ]
रेक्टिफायर करंट को रेक्टिफिकेशन करने का काम करता है।
उदाहरण के तौर पर हमारे घरों में चलने वाले लगभग सभी उपकरण अल्टरनेटिंग करंट (AC) सप्लाई पर चलते हैं लेकिन इनमें कई उपकरण ऐसे भी होते हैं जिनको डायरेक्ट करंट (DC) की आवश्यकता होती है जैसे- इनवर्टर, इनवर्टर में लगी 12 वाॅट की बैटरी को डायरेक्ट करंट(DC) की आवश्यकता होती है।
रेक्टिफिकेशन क्या है?
अल्टरनेटिंग करंट(AC) को डायरेक्ट करंट(DC) में परिवर्तित करने की प्रक्रिया को रेक्टिफिकेशन कहते हैं।
रेक्टिफायर का आविष्कार किसने किया ?
पीटर कॉपर हैबिट ने 1902 में पहली बार रेक्टिफायर अविष्कार किया |
रेक्टिफायर का इतिहास
रेक्टिफायर के अविष्कार का जनक पीटर कॉपर हैविट को माना जाता है। इन्होंने 1902 में इसे सबसे पहले मरकरी आर्क रेक्टिफायर्स (Mercury Arc Rectifier) को इस्तेमाल में लिया था।मरक्यूरी आर्क रेक्टिफायर एक ऐसा इलेक्ट्रिक रेक्टिफायर होता है जोकि अल्टरनेटिंग करंट(AC) को डायरेक्ट करंट(DC) में परिवर्तित करने का काम करता है।
यह एक ठंडी कैथोड गैस से भरी हुई ट्यूब होती है लेकिन यह सख्त होने के बजाय तरल मरक्यूरी से बनी होती है और यह स्वतः ही ठीक हो जाती है जिस वजह से यह काफी मजबूत होती थी और काफी लंबे समय तक चलती थी।
मरक्यूरी आर्क रेक्टिफायर का इस्तेमाल औद्योगिक मोटर्स, विद्युत रेलवे और विद्युत इंजन में किया जाता था।
1902 मे इसकी खोज होने के बाद 1930 तक अमेरिका और यूरोपीय शोधकर्ताओं ने इसके ऊपर काफी शोध करी। इसकी खोज से पहले अल्टरनेटिंग करंट(AC) को डायरेक्ट करंट(DC) में परिवर्तन, रोटेटरी कनवर्टर से किया जाता था जो कि उस समय के हिसाब से काफी खर्चीला काम था। मरक्यूरी आर्क रेक्टिफायर का इस्तेमाल 1970 के दशक तक खूब हुआ और इसके बाद इसका स्थान सेमीकंडक्टर रेक्टिफायर्स ने ले लिया।
रेक्टिफायर्स के प्रकार
[Types of Rectifier]
रेक्टिफायर दो प्रकार के होते हैं- हाफ वेव रेक्टिफायर[ Half Wave Rectifier]
- फुल वेव रेक्टिफायर [ Full Wave Rectifier]
हाफ वेव रेक्टिफायर [ Half Wave Rectifier]
जब कभी भी रेक्टिफायर में ट्रांसफार्मर द्वारा वोल्टेज प्रदान की जाती है उस समय वह पॉजिटिव(+ve) और नेगेटिव( -ve) की दो साइकिल में होती है
Half wave rectifier में एक डायोड लगे होते हैं। यह रेक्टिफायर उस में लगे डायोड की वजह से सिर्फ पॉजिटिव(+ve) साइकिल को आगे जाने की इजाजत देता है और नेगेटिव(-ve) साइकिल को वहीं पर रोक देता है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि रेक्टिफायर मे लगी डायोड हाफ पॉजिटिव साइकिल के आने पर फॉरवर्ड बायस्ड(Forward Biase) की स्थिति में पहुंच जाती है और उस साइकिल को पास करवा देती है लेकिन जैसे ही रेक्टिफायर के डायोड पर हाफ नेगेटिव साइकिल आती है तो यह रिवर्स बायस्ड (Reverse Biase) की स्थिति में आ जाती है जिससे हाफ नेगेटिव साइकिल पास नहीं हो पाती।
हाफ वेव रेक्टिफायर को इस्तेमाल करने का लाभ
• यह काफी सस्ता होता है।
• इसमें काफी कम कंपोनेंट्स का इस्तेमाल किया जाता है।
• इसमें कनेक्शन बनाना काफी आसान होता है।
फुल वेव रेक्टिफायर
[Full Wave Rectifier]
फुल वेव रेक्टिफायर (Full Wave Rectifier) ट्रांसफॉमर्स की वोल्टेज को पॉजिटिव(+ve) और नेगेटिव(-ve) दोनों साइकिल में रेक्टिफाई (Rectify) करता है। फुल वेव रेक्टिफायर आउटपुट वोल्टेज या आउटपुट करंट को ऐसे बनाने का काम करता है जो कि पूरे तरीके से डायरेक्ट करंट (DC) होता है। हाफ वेव रेक्टिफायर पर फुल वेव रेक्टिफायर का लाभ यह है कि फुल वेव रेक्टिफायर में औसत आउटपुट वोल्टेज अधिक रहती है जिस वजह से यह हाफ वेव रेक्टिफायर की तुलना में कम तरंगें पैदा करता है।इस सर्किट को इस प्रकार डिजाइन किया जाता है कि अगर साइकिल के पहले हाफ में डायोड फॉरवार्ड बायस्ड होगा तो साइकिल के दूसरे हाफ में वह रिवर्स बायस्ड होगा
फुल वेव रेक्टिफायर को इस्तेमाल करने का लाभ
- रेक्टिफायर की कार्य क्षमता फुल वेव रेक्टिफायर में काफी अधिक होती है।
- इसमें ऊर्जा की काफी कम हानि होती है।
- इसमें काफी कम तरंगे उत्पन्न होती है।
फुल वेव रेक्टिफायर दो प्रकार के होते हैं -
1- Center Tapped Full Wave Rectifierइस रेक्टिफायर में 2 डायोड को उपयोग में लिया जाता है जोकि Center Tapped ट्रांसफार्मर से एक साथ जुड़ी होती है। दोनों डायोड के पॉजिटिव टर्मिनल ट्रांसफार्मर के दोनों सिरों पर जुड़े होते हैं और Center Tapped टर्मिनल हमेशा नेगेटिव होता है जिसको ट्रांसफॉर्मर से आए हुए लोड के साथ जोड़ दिया जाता है।
2- Full Wave Bridge Rectifier
ब्रिज रेक्टिफायर में डायोड को ब्रिज के रूप में बनाया जाता है। 4 डायोड से बने होतेे हैं जैसा कि चित्र में दिखाया गया है positive half cycle मैं दो डायोड forward biase में और दो रिवर्स बॉयस में होते हैं
तथा negative half cycle मैंं अन्य दो डायोड forward baise मेंं तथा दूसरे दो डायोड रिवर्स बॉयस में होते हैं होते हैं।
इस प्रकार ब्रिज रेक्टिफायर में भी पॉजिटिव तथा नेगेटिव दोनों हाफ साइकिल में आउटपुट प्राप्त होता है जैसा कि ग्राफ में दिखाए गए हैं।
रेक्टिफायर काफी सस्ता होता है जिस वजह से इसे दुनिया के कई सारे उपकरणों में इस्तेमाल में लिया जाता है ।
रेक्टिफायर्स का इस्तेमाल
रेक्टिफायर का मुख्य काम अल्टरनेट करंट(AC) को डायरेक्ट करंट (DC) में परिवर्तित करना है। रेक्टिफायर का इस्तेमाल लगभग हर इलेक्ट्रॉनिक उपकरण के अंदर किया जाता है। पावर सप्लाई में रेक्टिफायर को सीरीज मे लगाया जाता है
रेक्टिफायर का इस्तेमाल बिजली उपकरणों के लिए किया जाता है
जैसा कि हम सब जानते हैं बहुत सारे विद्युत उपकरण डायरेक्ट करंट (DC) की वजह से चल पाते हैं। यहां पर रेक्टिफायर का इस्तेमाल बेहद जरूरी हो जाता है क्योंकि वह अल्टरनेट करंट (AC) को डायरेक्ट करंट(DC) मे परिवर्तित करने का काम करता है। बड़े विद्युत उपकरणों में ब्रिज रेक्टिफायर का इस्तेमाल काफी किया जाता है क्योंकि यह रेक्टिफायर ज्यादा मात्रा की अल्टरनेट करंट(AC) को कम मात्रा के डायरेक्ट करंट(DC) में परिवर्तित कर देता है।
सोल्डर करते समय रेक्टिफायर का इस्तेमाल
हाफ वेव रेक्टिफायर का इस्तेमाल लोहे की चीजों को सोल्डर करने के लिए काम में लिया जाता है। मच्छरों को भगाने वाली मशीनों में भी इसका इस्तेमाल बखूबी किया जाता है। विद्युत वेल्डिंग के समय ब्रिज रेक्टिफायर का इस्तेमाल स्थिर डायरेक्ट करंट की आपूर्ति के लिए किया जाता है।AM रेडियो में रेक्टिफायर का इस्तेमाल
AM रेडियो मे हाफ वेव रेक्टिफायर का उपयोग डिटेक्टर के तौर पर किया जाता है क्योंकि आउटपुट में केवल एक ऑडियो सिग्नल होता है। करंट की कम तीव्रता होने की वजह से यह जटिल रेक्टिफायर मे काफी कम उपयोग का है।सर्किट्स में रेक्टिफायर का उपयोग
फायरिंग सर्किट और पल्स जेनरेटर सर्किट्स में हाफ वेव रेक्टिफायर का इस्तेमाल किया जाता है।वोल्टेज मल्टीप्लायर में रेक्टिफायर का इस्तेमाल
वोल्टेज मल्टीप्लायर में हाफ वेव रेक्टिफायर का उपयोग किया जाता है।रेक्टिफायर पूरी जानकारी जिसमें इसकी परिभाषा तथा इसका आविष्कार किसने किया एवं कितने प्रकार के होते हैं इनमें से हाफ वेव रेक्टिफायर और फुल वेव रेक्टिफायर तथा फुल वेव रेक्टिफायर के प्रकार एवं लाभ रेक्टिफायर का इस्तेमाल यानी उपयोग कहां होता है । अगर आपका कोई अन्य सवाल या सुझाव हो तो नीचे कमेंट करें । 😊
धन्यवाद!🙏
2 Comments
Voltage badega to current bhi badegi
ReplyDeleteAapki post achhi lgi
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