Electrical Energy का Supply system - Transmission, Distribution



ELECTRICAL SUPPLY SYSTEM

वैद्युत ऊर्जा को पावर स्टेशन(Hydro electric, Thermal electric or nuclear electric) में उत्पन्न किया जाता है । यह सामान्यतः लोड सेंटर से काफी अधिक दूरी पर स्थित होते हैं इसलिए पावर स्टेशन और उपभोक्ता के बीच पावर का ट्रांसफर के लिए कंडक्टर का एक व्यापक नेटवर्क होना आवश्यक है ।
इस कंडक्टर नेटवर्क को मुख्य रूप से दो भागो में बाटा गया है।

1- Transmission system और
 2-  Distribution system
     

वैद्युत शक्ति के जनरेसन , ट्रांसमिशन तथा डिस्ट्रीब्यूशन सिस्टम को ही इलेक्ट्रिकल पावर सप्लाई सिस्टम कहते हैं।
इलेक्ट्रिकल पावर सिस्टम को नीचे चित्र द्वारा अच्छी तरह से समझा जा सकता है
     


Generation station 

जनरेशन स्टेशन वह  स्टेशन होता है जिसमें विद्युत ऊर्जा को उत्पन्न किया जाता है ।
आज के समय में जनरेशन वोल्टेज 3.3 kv ,6.6 kv, 11kv ,and 33kv है। परंतु इंडिया में सबसे अधिक मात्रा में उपयोगी जेनरेशन वोल्टेज 11kv ही है
वैधुत ऊर्जा के उत्पन्न होने के बाद इस ऊर्जा को transmit( संचरण) करना होता है जिसके लिए ट्रांसमिशन स्टेशन की आवश्यकता पड़ती है।

Earthing क्या है? Neutral Wire and Earthing Wire में क्या अंतर  है- हिंदी में

Electric transmission


इलेक्ट्रिक ट्रांसमिशन में विद्युत शक्ति को पावर स्टेशन से सब स्टेशन और विभिन्न प्रकार के औद्योगिक उपभोक्ताओं को विद्युत शक्ति की सप्लाई दी जाती है।
 ट्रांसमिशन स्टेशन को दो भागों में बांटा गया है

 1-pramiry transmission और
 2-secondary transmission।

विद्युत शक्ति संचरण और दूरी के अनुसार प्रायमरी ट्रांसमिशन वोल्टेज 110 kv ,132 kv ,220kv, और 400kv है।

और सेकेंडरी ट्रांसमिशन वोल्टेज  सामान्यतः 33kv  और 66 kv है।

Power transmission करने के बाद पावर को distribute करने का नंबर आता है। इसके लिए पावर डिसटीब्यूशन सब स्टेशन बनाए जाते हैं जिसमें सेकेंडरी ट्रांसमिशन वोल्टेज 33kv और 66kv को स्टेप डाउन करके उपयोगी वोल्टेज के रूप में परिवतिर्त किया जाता है।
डिस्ट्रीब्यूशन सिस्टम भी दो प्रकार के होते हैं
1-primary  distribution system और
2-secondary distribution system ।

 Transmissions  and distribution system मे प्रयोग होने वाले कंडक्टर  full details..

प्रायमरी डिसटीब्यूशन वोल्टेज 6.6 kv और 3.3kv है
और सेकेंडरी डिसटीब्यूशन वोल्टेज सामान्यत 415V or 240V  होते है।

इन्हीं सेकेंडरी डिसटीब्यूशन वोल्टेज का प्रयोग हम अपने घरों की इलेक्ट्रिक मशीनों या इलेक्ट्रिक उपकरणों को चलाने के लिए प्रयोग करते हैं।

>>Corona Effect क्या होता है- Full details

>>चिड़िया को बिजली के तार पर बैठने पर झटके क्यों नहीं लगते हैं? Click here

Electrical Pole Full Details 

Earthing क्या है? कितने प्रकार का होता है और कैसे करें?

दोस्तों इस पोस्ट में हमने आपको बताया कि पावर सिस्टम क्या होता है उसका ट्रांसमिशन, डिसटीब्यूशन या  हमारे घरों तक कैसे पहुंचता है इन सब चीजों के बारे में संक्षेप में आपको बताया । मुझे उम्मीद है कि आपको यह चीजें समझ में आ गए होंगे।
धन्यवाद!

Post a Comment

0 Comments