DC मोटर क्या है,यह किस सिद्धान्त पर कार्य करता है, यह कितने प्रकार का होता है


DC Moter


डीसी मोटर एक ऐसी मशीन होती है जो विद्युत ऊर्जा(electrical energy) को यांत्रिक ऊर्जा(mechanical energy) में बदलने का कार्य करती है। डीसी मोटर का प्रयोग पंप, लेथ और अन्य मशीनों को चलाने  के लिए एवं उनके गति नियंत्रण के लिए प्रयोग किया जाता है। डीसी मोटर को ट्रॉली, विद्युत ट्रेन और लिफ्ट(elevator) में भी प्रयोग किया जाता है। इस मोटर को आवश्यकतानुसार 0.01HP से कई हजार HP तक बनाए जाते हैं।


DC MOTER के कार्य सिद्धान्त (working  principal of DC moter)


जब किसी चालक में धारा प्रवाह हो रहा हो और उसको किसी चुंबकीय क्षेत्र में रखा जाता है तो उस पर फ्लेमिंग के नियम के अनुसार एक यांत्रिक बल कार्य करता है जिसके कारण चालक बल की दिशा में गतिशील हो जाता है और गति करने लगता है।

चालक पर लगने वाले बल की दिशा को फ्लेमिंग के बाएं हाथ के नियम के द्वारा ज्ञात कर सकते हैं यही DC मोटर का कार्य सिद्धांत है।

Type of DC moter


डीसी मोटर 3 प्रकार के होते हैं-

1-DC Serise moter 


DC series मोटर का फील्ड वाइंडिंग आर्मेचर के सीरीज में जुड़ा होता है और फील्ड वाइंडिंग को मोटे विद्युतरोधी तार द्वारा कम टर्न करने देकर बनाया जाता है। इसका प्रारंभिक बल आघूर्ण बहुत उच्च होता है जिसके कारण इसका प्रयोग इलेक्ट्रिक ट्रेन, लिफ्ट, ट्रॉली, कार, क्रेन और कनवेयर बेल्ट वाली मशीनों में किया जाता है जहां उच्च बल आघूर्ण की आवश्यकता होती है।


2-DC Shunt moter 


DC Shunt मोटर के फील्ड वाइंडिंग को आर्मेचर के समांतर क्रम(prellel)  में जोड़ देते हैं। इसमें फिल्म फाइंडिंग को पतले विद्युतरोधी तारों द्वारा अधिक टर्न देकर बनाते हैं। इस मोटर का बल आघूर्ण लोड बढ़ने पर बढ़ जाता है तथा घटने पर घट जाता है इसकी गति लगभग समान होती है इस मोटर का प्रयोग स्थिर गति से चलने वाली मशीनों जैसे लेथ मशीन, जल पंप, ब्लोवर पंखे, मशीन टूल इत्यादि में किया जाता है।

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3-DC Compound moter


DC Compound Motors में फील्ड वाइंडिंग सीरीज और पैरेलल दोनों में होती है।

 सीरीज फील्ड वाइंडिंग मोटी तार और कम टर्न की होती है, इसका Resistance कम होता है। सीरीज फील्ड वाइंडिंग में करंट लोड पर आधारित होता है। कम लोड होगा तो सीरीज वाइंडिंग कम करंट लेगी और अगर ज्यादा लोड होगा तो फील्ड वाइंडिंग ज्यादा करंट लेगी। पैरेलल फील्ड वाइंडिंग पतले तार व अधिक टर्न्स की होती है। इस वाइंडिंग का Resistance भी अधिक होता है। पैरेलल फील्ड वाइंडिंग में करंट लगभग एक समान ही रहता है। Compound Motor भी दो प्रकार के होते है:-


(i) DC Commutative Compound Motor...



Cumulative Compound Motor के सीरीज और पैरेलल वाइंडिंग में करंट एक ही दिशा में Flow होता है। इन मोटरों में स्पीड लोड पर आधारित होती है, बिना लोड के स्पीड अधिक होगी और लोड के बढ़ने के साथ - साथ कम हो जाएगी। इन मोटरों को वहाँ पर इस्तेमाल किया जाता है जहाँ पर लोड एक दम से मोटर पर आ जाता है और फिर चला जाता है।
  •  इस प्रकार की मोटरो का उपयोग Sewing Machine, Pinching Machine, Power Hammer और Press जैसी कई मशीनों में किया जाता है।

(ii) Differential Compound Motor

Differential Compound Motor . में सीरीज और वाइंडिंग एक दूसरे का विरोध करते है। इन मोटरों में ज्यादा लोड होने पर फ्लक्स कम होगा और कम लोड होने पर फ्लक्स ज्यादा होगा। इन मोटरों की ये खासियत है कि इन मोटरों की बिना लोड के कम स्पीड होती है और जैसे - जैसे लोड बढ़ता है स्पीड भी बढ़ती जाती है। इस प्रकार की मोटरों का उपयोग बहुत कम किया जाता है।

  •  ये मोटरें ज्यादा तक Battery को Charge करने के लिए इस्तेमाल की जाती है।

  • Compound Moters का उपयोग रोलिंग मिल, भारी मशीन, एलिवेटर, कोयला को खान से निकालने के लिए पट्टे चलाने की मशीन तथा पंच एवं कटाई में किया जाता है।


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मने इस पोस्ट में आपको बताया कि डीसी मोटर क्या होता है यह किस सिद्धांत पर कार्य करता है और यह कितने प्रकार का होता है मुझे उम्मीद है कि आप को यह जानकारी समझ में आ गई होगी यदि आपका कोई सवाल या सुझाव हो तो आप नीचे कमेंट बॉक्स में हमसे पूछ सकते हैं।
धन्यवाद !



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